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तुझे ही फुरसत ना थी मेरे किसी अफसाने को पढ़ने की ऐ

तुझे ही फुरसत ना थी मेरे किसी अफसाने को पढ़ने की ऐ सनम !

हम तो बिकते रहे तेरे शहर में, दर ब दर किताबों की तरह !!

                      (dev) chod diya...
तुझे ही फुरसत ना थी मेरे किसी अफसाने को पढ़ने की ऐ सनम !

हम तो बिकते रहे तेरे शहर में, दर ब दर किताबों की तरह !!

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devamsengar8156

jaydev

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