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हूँ फ़कीर मैं अनपढ़ और गंवार, शब्दों में भी मेरे व

हूँ फ़कीर मैं अनपढ़ और गंवार, शब्दों में भी मेरे वो भण्डार नही।
किस लब्जों में करे तारीफ़ आपकी, मेरी कविता में सार नही।।
पर थम ना सकी लेखनी, टूटे फूटे शब्दों में जज़्बातों को सजाया,
पर मन में उमड़ रहा है जो नेह उमंग, कविता में वो भाव नही।। Dedicating a #testimonial to Love Agrawal 🇮🇳

ले लो मित्र वादा पूरा किया........ नए नए मित्र बने हो तो लिखने में समय लगेगा ही.....🤣🤣🤣🤣

पर कोई ना अब कविता भी पढ़ लो......वैसे भी 2 ru देकर आए हो...........…......
👇👇👇👇👇👇👇👇👇

मैं नादान सी, कलम मेरी नासमझी सी, पर जज़्बात कलमबद्ध करने चली हूँ।
हूँ फ़कीर मैं अनपढ़ और गंवार, शब्दों में भी मेरे वो भण्डार नही।
किस लब्जों में करे तारीफ़ आपकी, मेरी कविता में सार नही।।
पर थम ना सकी लेखनी, टूटे फूटे शब्दों में जज़्बातों को सजाया,
पर मन में उमड़ रहा है जो नेह उमंग, कविता में वो भाव नही।। Dedicating a #testimonial to Love Agrawal 🇮🇳

ले लो मित्र वादा पूरा किया........ नए नए मित्र बने हो तो लिखने में समय लगेगा ही.....🤣🤣🤣🤣

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मैं नादान सी, कलम मेरी नासमझी सी, पर जज़्बात कलमबद्ध करने चली हूँ।