ख़ुदा जीना मुश्किल है या आसान, जरा देख तो लो... लोग लगते हैं परेशान, जरा देख तो लो || यह नया शहर तो है खूब बसाया तुमने... क्यूं पुराना हुआ बिरान, ज़रा देख तो लो || इन चिरागों के तले ऐसे अंधेरे क्यों हैं... तुम भी रह जाओगे हैरान, ज़रा देख तो लो || तुम यह कहते हो की मैं गैर हूँ,... फिर भी शायद, निकल आए कोई पहचान, ज़रा देख तो लो || ©Amrit Yadav #याद #you #poem #ख़ुदा