कैसे छोड़ दू तेरा नाम में लेना तेरे नाम में इक जादू है कही बनी राधा वावरी। तो कहीं मीरा श्याम नाम धुन में बेकाबू है होस भुला बैठा सोदामा भी जब तेरी लीला का अनुमान हुआ । धनुष उठाएं अर्जुन ने भी जब तेरी लीला का ज्ञान हुआ भ्रम तोड़ा तूने दुर्योधन का भी जब उसको अभिमान हुआ। प्रणाम किया भिसम ने भी जब उसको अपनी भूलों का अनुमान हुआ। कोई नहीं सखा तेरा उसका भी घमंड तूने तोड़ा जब खुद पर अर्जुन को भी अभिमान हुआ तो उसको भी ना तूने छोड़ा। त्रेता का तू महा ज्ञानी दूजा ना कोई जब जब सुनी हरि धुन मैने अपनी चेतना खोई । पांच इंद्रिया में एक सामन हरि नाम होय हरी धुन लगी मोहे दूजा कोई अनुभव ना होए।। ज्ञान प्रदान करो मुझे दाता चरनन का तुम दास बनाओ अपना नाम ना छिनो मुझसे चाहे प्राण बिन मांगे ले जाओ। ......✍️ साधु बाबा तेरी लीला