तिल गुड़ से जिसकी पहचान होती है, वह मकर संक्रांति बड़ी महान् होती है। जोश और उमंग में कोई कमी नहीं है, चाहे ठंडी हवा बड़ी बेईमान बहती है। तिल गुड़ से जिसकी………… मीठे होते, तिल और चिवड़ा के लड्डू, खाकर इसे होठों पर मुस्कान होती है। घर में जैसे, दूध दही की नदी बहती, देखकर हमको, दुनिया हैरान होती है। तिल गुड़ से जिसकी…………. पंजाब में लोहड़ी है, आसाम में बिहु, तमिनाडु में पोंगल पहचान होती है। धन धान्य से, घर परिवार भरे होते, हर चेहरे पर झलकती शान होती है। तिल गुड़ से जिसकी………….. बड़ा पावन माना जाता है नदी स्नान, होठों पे मुरली की मीठी तान होती है। मकर संक्रांति पर सर्दी का राज होता, लेकिन इस पर्व में बड़ी जान होती है। तिल गुड़ से जिसकी…………. यह पर्व, भारतीय संस्कृति से जुड़ा है, प्रकृति भी पूरी तरह मेहरबान होती है। कभी गुलाबी धूप, कभी ठंडी ठंडी हवा, हरी हरी घास पर ओस नादान होती है। तिल गुड़ से जिसकी…………. ©Rishnit❤️ #makarsakranti #nojotowriters