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ना होते मेरे गालों पे डिम्पल, बस तिल के है निशाँ..

ना होते मेरे गालों पे डिम्पल, बस तिल के है निशाँ... 
हँसती हूँ जब-जब खिल जाती गुलाबों की पंखुड़ियां! ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
ना होते मेरे गालों पे डिम्पल, बस तिल के है निशाँ... 
हँसती हूँ जब-जब खिल जाती गुलाबों की पंखुड़ियां! ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :)

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nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator