जैसा समाज मे होते हुए देखते बस वहीं से सुख और दुःख दोनों के भाव मन में उठते है वही मन के प्रवाह बनकर शब्दों का रूप लेकर उतर आते है इन कोरे पन्नों में #ज़िन्दगीएकखुलीकिताब ©Nirmal Earthcarefoundation Ekabhiyaan