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सुबकती सांसें,‌सिसकते जख्म, दर्द की गवाही है भर रह

सुबकती सांसें,‌सिसकते जख्म,
दर्द की गवाही है भर रहें,
महरूमी हमारे इश्क़ की,
हमारी निजता  है उछाल रहे,
यार- ए- गराँ ही हमारा रक़ीब होगा,
इल्म ना था हमें,
मसर्रत-ए- सागर ‌, हर्फ-ए-दुआ में मांगते थे, 
वो ही हमारी खुशीयों का रहज़न होगा,
मालूम ना था। ♥️ Challenge-542 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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सुबकती सांसें,‌सिसकते जख्म,
दर्द की गवाही है भर रहें,
महरूमी हमारे इश्क़ की,
हमारी निजता  है उछाल रहे,
यार- ए- गराँ ही हमारा रक़ीब होगा,
इल्म ना था हमें,
मसर्रत-ए- सागर ‌, हर्फ-ए-दुआ में मांगते थे, 
वो ही हमारी खुशीयों का रहज़न होगा,
मालूम ना था। ♥️ Challenge-542 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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mrsrosysumbriade8729

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