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अब तन्हाई के काग़ज़ पर ख़ामोशी की स्याही भर के जो

अब तन्हाई के काग़ज़ पर
ख़ामोशी की स्याही भर के
जो अरमाँ ने कलम उठाई है
सब दिल की बात सुनाई है
इन शोर करती आँखों की 
ज़िंदगी से फरमाइश इतनी
ऐ अक्सर याद आने वाली
कभी तू मुझको याद करती
एक ख़्वाब परेशाँ करता है
इन बारहमासी मासों में तुम
सिर्फ़ दो ही मुझको लगती
घनी रात में सावन हो तुम
दिन में लगती हो फागुन सी
साँझ की बेला में आतुर मन
क्या न करता है? क्षण-क्षण
एक बार कभी तुम आओ तो
इन नैनों की तृषा बुझाओ तो #shamaurtanhai #196 #365days365quotes #anam
अब तन्हाई के काग़ज़ पर
ख़ामोशी की स्याही भर के
जो अरमाँ ने कलम उठाई है
सब दिल की बात सुनाई है
इन शोर करती आँखों की 
ज़िंदगी से फरमाइश इतनी
ऐ अक्सर याद आने वाली
कभी तू मुझको याद करती
एक ख़्वाब परेशाँ करता है
इन बारहमासी मासों में तुम
सिर्फ़ दो ही मुझको लगती
घनी रात में सावन हो तुम
दिन में लगती हो फागुन सी
साँझ की बेला में आतुर मन
क्या न करता है? क्षण-क्षण
एक बार कभी तुम आओ तो
इन नैनों की तृषा बुझाओ तो #shamaurtanhai #196 #365days365quotes #anam