बहूत उलझनें है कैसे तुम्हें पास बुलाऊ, दूरी भी अब सहन नहीं होती मुझसे कैसे तुमको ये बताऊ। दूर रखना चाहती हु दुनियां से तुमको कैसे ज़ालिम दुनियां से तुमको बचाऊ। अपनी सरहद तोड़ न पाऊँ, तुम तक कैसे आऊँ... #तुमतक #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi