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बहूत उलझनें है कैसे तुम्हें पास बुलाऊ, दूरी भी अब

बहूत उलझनें है कैसे तुम्हें पास बुलाऊ,
दूरी भी अब सहन नहीं होती मुझसे 
कैसे तुमको ये बताऊ।
दूर रखना चाहती हु दुनियां से तुमको
कैसे ज़ालिम दुनियां से तुमको बचाऊ। अपनी सरहद तोड़ न पाऊँ,
तुम तक कैसे आऊँ...
#तुमतक #collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
बहूत उलझनें है कैसे तुम्हें पास बुलाऊ,
दूरी भी अब सहन नहीं होती मुझसे 
कैसे तुमको ये बताऊ।
दूर रखना चाहती हु दुनियां से तुमको
कैसे ज़ालिम दुनियां से तुमको बचाऊ। अपनी सरहद तोड़ न पाऊँ,
तुम तक कैसे आऊँ...
#तुमतक #collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
pri9313990682750

pri

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