हम खुद को समाज के अंधविश्वासी और दकियानूसी कफस से आजाद करेंगें। कोई चाहे कितनी कोशिश करे, पहरे लगा ले हम बाहर निकलने का प्रयास करेंगे। अपने हौसलों के पंखों में उड़ान भरकर ,हम कफ़स की बेड़ियों को तोड़ेंगे। ना हारेंगे, ना डरेंगे, हम अपनी जिंदगी को परतंत्रता के कफस में न छोड़ेंगे। "अजीज/प्रिय" "कातिबों/लेखकों" 👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है 👇👇👇 🌹"क़फ़स/قفس"🌹 🌷"Qafas"🌷 👉तहरीर/मतलब- पिंजरा, कैदखाना