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मैं बैठा थक कर आज यहाँ, कुछ यादों ने डेरे डाले है

मैं बैठा थक कर आज यहाँ, कुछ यादों ने डेरे डाले है
कुछ सपने थे मेरे अपनों के, सीने से लगाये बैठे है
छोटे छोटे आँखों में, कुछ बड़े से सपने बोई तू
इन नन्ही नन्ही हाथो से कही तस्वीर उकेरी तू
बढ़ते पाँवो की आहत भी तुम पहले ही सुन बैठी थी
बुनते बुनते ख्वाबो को तू, मुझमे ही दिन गिनती तू
लगे मैं ही सूरज तेरा, दिन रात मुझि में जीती तू
मेरे सपनो को पलते मैंने, आँखों में तेरी देखा था
मेरे उन सपनो की कीमत, आंसू ने तेरे सींचा था
छोटा मैं नादान परिंदा, उड़ने को बस चाहू माँ
हौले हौले धीरे से मेरे, इन परो को तब तू खोली माँ
बादल छाया अम्बर ऊपर, बड़े जतन से ताकी तू
फिर छोटी छोटी पंखो में मेरे, अपनी ताकत यु झोंकी तू
की देख उड़ा मैं बादल पार, जहाँ साफ़ नजर है आये सब
खुला अम्बर पुकारे मुझको, मैं भी बस हूँ उड़ा चला
बड़ी शौक थी उड़ने की, पर खुद की वो ख्वाब नही
बस मेरे उड़ते पर तू देखे, यहीं मेरा था ख्वाबमहल
पर देख आज जब उड़ा मैं ऊपर, भीड़ खड़ी है मुझको ताके
कही शाबाशी, कही पे ताली, लोग नजर है आये खूब
पर जिसको मेरी खोजे आँखिया, वही नजर न आये क्यों
जीत की अपनी खुशी मनाता, बचपन में ही सोचा था
पर आज आँख में आंसू मेरे, जीत लगे है फीके क्यों
बेरंग से कोरे कागज़ पर, सपनो के रंग बिखेरी तू
पर आज वही सजीव हुए तो, कहाँ है छिप कर बैठी तू
शोर बहुत है यहाँ सफ़र में, आराम जरा सा खोजू माँ
वो तेरी गोद नसीब जो होती, सारी सफ़र कर लेता यूँ
पर बिन तेरे यू उड़ना ऐसे, आँखे धोका देती माँ
धुंधला सब, नजर है आता, ओझल सब ये कर देती माँ
कोई तरसे जीत को यहाँ, मैं तरसु तेरे दर्शन को
उस अलौकिक सृष्टि से,लौकिक सृष्टी में आ जा माँ
बहुत संभाला खुद को अबतक, पर और जिया न जाये माँ
कभी नजर न डाला मैंने, कोई जीत के आता जब
परअपनी माँ संग ख़ुशी मनाये,तेरे आँचल बिन रोता बस माँ
हर उगते ढलते सूरज में बस तुझको ही खोजू माँ
की कही ओट के पीछे ,दिनकर संग छुप बैठी हो माँ
कही सुबह वो मेरी आये,जिसका अस्त देखता आया माँ
तू मत रोना की कमजोर पड़ा मैं, ये आंसू मेरे हिम्मत माँ
हर आंसू तेरी गाथा गाये, जो उड़ने में बल भरते माँ
बस तू होती तो बात और थी, पर सपने तेरे है जीते माँ
तेरे आँखों से देखे सपने, अब मेहनत के रंग सब देखे माँ
मेरी सपनो में जीतीं मेरी माँ.... #Maa #mother #hindi #son
मैं बैठा थक कर आज यहाँ, कुछ यादों ने डेरे डाले है
कुछ सपने थे मेरे अपनों के, सीने से लगाये बैठे है
छोटे छोटे आँखों में, कुछ बड़े से सपने बोई तू
इन नन्ही नन्ही हाथो से कही तस्वीर उकेरी तू
बढ़ते पाँवो की आहत भी तुम पहले ही सुन बैठी थी
बुनते बुनते ख्वाबो को तू, मुझमे ही दिन गिनती तू
लगे मैं ही सूरज तेरा, दिन रात मुझि में जीती तू
मेरे सपनो को पलते मैंने, आँखों में तेरी देखा था
मेरे उन सपनो की कीमत, आंसू ने तेरे सींचा था
छोटा मैं नादान परिंदा, उड़ने को बस चाहू माँ
हौले हौले धीरे से मेरे, इन परो को तब तू खोली माँ
बादल छाया अम्बर ऊपर, बड़े जतन से ताकी तू
फिर छोटी छोटी पंखो में मेरे, अपनी ताकत यु झोंकी तू
की देख उड़ा मैं बादल पार, जहाँ साफ़ नजर है आये सब
खुला अम्बर पुकारे मुझको, मैं भी बस हूँ उड़ा चला
बड़ी शौक थी उड़ने की, पर खुद की वो ख्वाब नही
बस मेरे उड़ते पर तू देखे, यहीं मेरा था ख्वाबमहल
पर देख आज जब उड़ा मैं ऊपर, भीड़ खड़ी है मुझको ताके
कही शाबाशी, कही पे ताली, लोग नजर है आये खूब
पर जिसको मेरी खोजे आँखिया, वही नजर न आये क्यों
जीत की अपनी खुशी मनाता, बचपन में ही सोचा था
पर आज आँख में आंसू मेरे, जीत लगे है फीके क्यों
बेरंग से कोरे कागज़ पर, सपनो के रंग बिखेरी तू
पर आज वही सजीव हुए तो, कहाँ है छिप कर बैठी तू
शोर बहुत है यहाँ सफ़र में, आराम जरा सा खोजू माँ
वो तेरी गोद नसीब जो होती, सारी सफ़र कर लेता यूँ
पर बिन तेरे यू उड़ना ऐसे, आँखे धोका देती माँ
धुंधला सब, नजर है आता, ओझल सब ये कर देती माँ
कोई तरसे जीत को यहाँ, मैं तरसु तेरे दर्शन को
उस अलौकिक सृष्टि से,लौकिक सृष्टी में आ जा माँ
बहुत संभाला खुद को अबतक, पर और जिया न जाये माँ
कभी नजर न डाला मैंने, कोई जीत के आता जब
परअपनी माँ संग ख़ुशी मनाये,तेरे आँचल बिन रोता बस माँ
हर उगते ढलते सूरज में बस तुझको ही खोजू माँ
की कही ओट के पीछे ,दिनकर संग छुप बैठी हो माँ
कही सुबह वो मेरी आये,जिसका अस्त देखता आया माँ
तू मत रोना की कमजोर पड़ा मैं, ये आंसू मेरे हिम्मत माँ
हर आंसू तेरी गाथा गाये, जो उड़ने में बल भरते माँ
बस तू होती तो बात और थी, पर सपने तेरे है जीते माँ
तेरे आँखों से देखे सपने, अब मेहनत के रंग सब देखे माँ
मेरी सपनो में जीतीं मेरी माँ.... #Maa #mother #hindi #son