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White कविता बहती धार है, बैठो अगर समीप। दोहे मुक्

White कविता बहती धार है, बैठो अगर समीप। 
दोहे मुक्तक गीत औ,   छंद लगे अब दीप।

लिए तूलिका हाथ में,   बैठे कागज नाव।  
खे कर बढ़ते जा रहे, कविवर नंगे पांव।।

डाॅ.राजेश श्रीवास्तव राज

©Rajesh Srivastava
  #GoodMorning