कितना अच्छा होता अगर मैं पल्लव की डायरी सारी निर्भरता सरकारों ने ले ली कानूनी पाठ पढ़ाते है अपनो हितों की पूर्ती करते जनता को झंडावत में फसाते है कितना अच्छा होता हम राष्ट निर्माण में कुछ कर पाते वैभव शाली भारत को अपनी पीढ़ी को सौप पाते साजिशों के दौर पनपे आत्मा चीत्कार करती है सियासतों के अधोपतन गर्त की नींव रखते है बुनियाद भारत की हिलाकर विदेशियों के लिये नींव रखते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #AdhureVakya वैभवशाली भारत अपनी पीढ़ी को सौप पाते #AdhureVakya #AdhureVakya