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कुछ आरज़ू नहीं है, है आरज़ू तो ये है। रख दे कोई ज़

कुछ आरज़ू नहीं है, है आरज़ू तो ये है।
रख दे कोई ज़रा सी ख़ाक़ ए वतन कफ़न में।।

©Amir 'Ek Anjaan Shayar'
  #Ashfaqullakhan