किसी इतवार तुम भी आ जाओ कैसा खाली खाली गुजर जाता है, मुझे लगता है मानो अकेलेपन से मेरा जन्मों जन्मों का नाता है। आज दूरी मीलों की नहीं वर्षों की है। आज समझ कर गुजारा जो तारीख परसों की है। किसी इतवार तुम भी आ जाओ जीवन दिन के पहर सा गुजर जाता है। किसी गहरे अमर्ष की तरह शापित हर्ष की तरह अतीत के वर्ष की तरह रुका पड़ा है शिराओं में लहू गरीब किसान की चौथी बहु देखती है धनखेती और किसान की आखिरी बेटी, कितना उसके पास है कितनों की उससे आस है और कुछ पाने की दौड़ में ये इतवार, ये छुट्टी कुछ ख़ास है। किसी इतवार #yqbaba #yqdidi #किसीइतवार