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पल्लव की डायरी सोच हमारी,दुनियाँ से मेल खाती नही ह

पल्लव की डायरी
सोच हमारी,दुनियाँ से मेल खाती नही है
दबाबों में जिंदगी,जी नही जाती है
बदल गये उसूल,ईमानदारी के
रोटी अब खायी नही जाती है
कितने हको को मारकर
ख़ुशियाँ अब बटोरी जाती है
दर दर भटक कर सच्चाई कराहती है
मगर बेईमानी से बने महलो से
दुहाई सत्य और ईमान की दी जाती है
घुटते गरीबो के तन मन
आहे गरीबो की कैसे पच जाती है
मेहनतकशो की कमाई मारकर
दुनियाभर में विकास की गाथा लिखी जाती है
                                                             प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Dark आहे गरीबो की कैसे पच जाती है
पल्लव की डायरी
सोच हमारी,दुनियाँ से मेल खाती नही है
दबाबों में जिंदगी,जी नही जाती है
बदल गये उसूल,ईमानदारी के
रोटी अब खायी नही जाती है
कितने हको को मारकर
ख़ुशियाँ अब बटोरी जाती है
दर दर भटक कर सच्चाई कराहती है
मगर बेईमानी से बने महलो से
दुहाई सत्य और ईमान की दी जाती है
घुटते गरीबो के तन मन
आहे गरीबो की कैसे पच जाती है
मेहनतकशो की कमाई मारकर
दुनियाभर में विकास की गाथा लिखी जाती है
                                                             प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Dark आहे गरीबो की कैसे पच जाती है