हर एक राह, बट गई-दो राहों में। ज़िंदगी कट गई, दो भागों में। किसे छोडूं, किससे नाराज हूं, एक जननी है, दूजी संगिनी है। समझती क्यों नहीं, दोनों!!! पुत्र औऱ पति भी, आखिर तो मैं हूं, एक ही...!!! Based on some true experiences of others, however I m still single Two Parts, both are important