जिन पलों को इत्तेफाक समझ.. मैं मुस्कुरा दिया करती, बाद मुदत, शख्स ने खुद कबूला.. तुझे तकलीफ के लिए बुने थे मैंने पल वो..! शख्स ने खुद कबूला.. तुझे तकलीफ के लिए बुने थे मैंने पल वो..!