Nojoto: Largest Storytelling Platform

जिन पलों को इत्तेफाक समझ.. मैं मुस्कुरा दिया करती

जिन पलों को इत्तेफाक समझ.. 
मैं मुस्कुरा दिया करती,
बाद मुदत,
शख्स ने खुद कबूला..
तुझे तकलीफ के लिए बुने थे मैंने पल वो..! शख्स ने खुद कबूला..
तुझे तकलीफ के लिए बुने थे मैंने पल वो..!
जिन पलों को इत्तेफाक समझ.. 
मैं मुस्कुरा दिया करती,
बाद मुदत,
शख्स ने खुद कबूला..
तुझे तकलीफ के लिए बुने थे मैंने पल वो..! शख्स ने खुद कबूला..
तुझे तकलीफ के लिए बुने थे मैंने पल वो..!