वो हूं मैं... गुजार दिए होंगे तुमने, कई दिन, महीने, साल... जो काट ना सकोंगे वो एक रात हूं में । की होगी गुफ्तगू, तुमने कई दफा कई लोगों से, दिल पर जो लगेगी वो एक बात हूं मैं । भीड़ में जब तन्हा, खुदको तुम पाओगे, अपनेपन का एहसास जो करा दे, वो एक साथ हूं मैं । बिताये होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में, जो भुला नहीं पाओगे, वो एक याद हूं मैं । ©maher singaniya वो हूं मैं...