" इतनी देर तक क्यों जग रही थी तुम. तुम्हें तनिक भी अपना ख्याल नही रहता न. गोबर भर रखा है तुम्हारे दिमाग में जानती हो तुम्हारी तबियत खराब हो जाती है फिर भी जाने क्यों करती रहती हो. जाओ कुछ बोलना ही नही अब मुझे तुमसे करो अपने मन की".
रोहित की बातें और उसका ये गुस्सा,.
जन्मदिन था उसका पिछले कल .. और मैं भूल गयी. अभी याद आया तो शुभकामनायें देने आ गयी. उसका ध्यान हटाने के लिए मैंने उसे अपने कुछ क्लिक्स दिखाए. उसने भी उड़ते-उड़ते देखे और घूरते हुए कहा...
" खूबसूरत ".
मैंने उसे चिढ़ाते हुए शराररी लहजे में थैंक्यू कहा,. और और जब हंसी ना रोक पायी तो जोर से हँसते हँसते हुए कहा.." तू यहाँ कैसे? "