ग़ज़ल मैंने इश्क़ में हसीनाओं के जलवे हज़ार देखे। मैंने सर_ए_बाज़ार बिकते उनके प्यार देखे। आज कोई और कल कोई और, मैंने हर रोज़ हसीनाओं के बदलते यार देखे। कोई हुआ गुमराह कोई हुआ तबाह, मैंने इनके चक्कर में लोग होते बेकार देखे। किसी को लूटा रोकर किसी को हंसकर, मैंने वीरान होते जज़्बातों के गुलज़ार देखे। आशिकों के अफसाने रह गए अधूरे, मैंने इश्क में हसीनाओं के किस्से मज़ेदार देखे। आशिकों के सपने टूटकर बिखर गए, मैंने हसीनाओं के सपने होते साकार देखे। कोई हो गया पागल तो कोई दीवाना, मैंने मयकदों में मयकश बेशुमार देखे। कोई आशिक़ कैसे न करे यकीन इनका, मैंने इनके चेहरों पर मुखौटों के सिंगार देखे। आशिक़ हुए बर्बाद मगर ये हुईं कामयाब, मैंने इनकी फितरत में दगाबाजी के मेयार देखे। झूठी उम्मीदों का वास्ता दे देकर छला, मैंने आशिक हसीनाओं के होते शिकार देखे। ✍🏿 Vishwa :^) ©broken heart(analystprakram) #Moon poetry in hindi sad poetry poetry poetry on love poetry lovers shital