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गजल- दिल धूप को गुन गुनाने लगा है ---------------

गजल- 
दिल धूप को गुन गुनाने लगा है
-----------------------------------------------
मेरे दिल से रोज  कोई आजमाने लगा है
मुझमें अक्स  उसका नजर आने लगा है।

सर्द मौसम पे ये  कुहासों का सितम कैसा
जलक भर धूप   दिल गुन गुनाने लगा है।

आखिरे शब  भी मेरी दराज हुई  जाती है
शोला  कोई मुझ में कोई दहकाने लगा है।

ख्वाबों  की  शर्त नींद के बाद आने की थी
 ख़याल  हसीन सा  मुझे जगाने  लगा है।

फितरतें   रही ह है लग्जिश तो क्या करूँ
दिल ये उतर के तुझमें ड़ूब जाने लगा है।

आँख बंद  करलूँ, तो भी नींद नहीं आती
मैरे होश ले के दिल खूब ठिकाने लगा है।

ठहरते कहाँ  ये मौसम  सुहाने से #राय
खिज़ा का रंग  अब थोड़ा डराने लगा  है।

#आखिरे शब_रात का अंतिम पहर
#लग्जिश_फिसलन
#दराज"_लम्बी

P rai rathi
P rai rathi
गजल- 
दिल धूप को गुन गुनाने लगा है
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मेरे दिल से रोज  कोई आजमाने लगा है
मुझमें अक्स  उसका नजर आने लगा है।

सर्द मौसम पे ये  कुहासों का सितम कैसा
जलक भर धूप   दिल गुन गुनाने लगा है।

आखिरे शब  भी मेरी दराज हुई  जाती है
शोला  कोई मुझ में कोई दहकाने लगा है।

ख्वाबों  की  शर्त नींद के बाद आने की थी
 ख़याल  हसीन सा  मुझे जगाने  लगा है।

फितरतें   रही ह है लग्जिश तो क्या करूँ
दिल ये उतर के तुझमें ड़ूब जाने लगा है।

आँख बंद  करलूँ, तो भी नींद नहीं आती
मैरे होश ले के दिल खूब ठिकाने लगा है।

ठहरते कहाँ  ये मौसम  सुहाने से #राय
खिज़ा का रंग  अब थोड़ा डराने लगा  है।

#आखिरे शब_रात का अंतिम पहर
#लग्जिश_फिसलन
#दराज"_लम्बी

P rai rathi
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