तुम नही बदलें उन स्याह वाकयों के बाद भी, आशिक़ी अपनी जगह है पर एहतियात भी। वो बादलों का सूनापन या ज़मी की तिश्नगी, मौसम ताब का था लेकिन आई बरसात भी। आँखें मिलने पर बदमिज़ाजी का इल्ज़ाम आया, नज़रें मिलाने की कहाँ थी हमारी औक़ात भी। ज़र्रा - ज़र्रा बिखर गया मैं उसके इश्क़ में वरना, अदना सा मोहरा दे सकता था वज़ीर को मात भी। तुम नहीं बदले... #तुमनहींबदले #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #स्याह_वाक़ये #आशु_की_कलम_से #yourquotebaba #ग़ज़ल