रास्ते इस डगमगाते रास्तों पर, तब कंकड़ बहुत पड़े थे, छोड़ कर वो राह सच्चाई का, जाल बुराई का मैंने ही बुने थे, बस एक गुज़ारिश है ऐ ज़िंदगी से, कि लौट आऊ मै उस राह पर फिर से, और पूछ लू मै अपनी खुद का हाल कि, ऐ मंज़िल तू ही बता दे मुझे ज़रा कि, मेरे पहले कदम कहाँ पडे थे, #रास्ते#Nojoto #anup #Nojotoshayri #Nojoto hindi