रात बहूत हो गई दोस्तों۔ बात बहूत हो गई दोस्तों۔ अब वक़्त हो चला۔۔۔۔ के आंखों को आराम दिया जाए۔ चादरें ओढ़ूं,,करवटे बदलूं,, लब पे पाक ऱब का नाम लिया जाए۔ मगर ऱब हि जाने "इब्राहिमी" कयूं आंखों से नींदे रूठ गई है۔ सांसे तो बाक़ी है۔۔۔ मगर कयूं ज़िंदगी रूठ गई है۔ shadab AL ibrahimi Allahumma khayr....