मैं अपनी किताबों में ही उलझा हुआ था कि वो मेरे पास आए , "मानिक एक्साम का इतना स्टरेस ना लो " ,"कुछ नहीं समझ आ रहा तो मेरे रूम में आ जाओ " । जीवन सर बोलकर तो चले गए मगर जीवन सर के किस्से सारी यूनिवर्सिटी में मशहूर थे कि कैसे मदद करने के एवज में वो अपना उल्लू सीधा किया करते थे। बायोलोजी विभाग के हेड थे आखिरकार और किसी को कुछ समझ ना आये या फिर थीसिस पर साइन करवाने हों , बस जान निकल आती थी हमारी। हम लोग शारीरिक-मानसिक शोषण की बात आज भी खुलकर नहीं किया करते हैं, जबकि हम गलत नहीं होते फिर भी हम कभी पढ़ाई तो कभी कैरियर की चिन्ता में अपने मुंह पर पट्टी बांध लेते हैं। ऐसा ही कुछ हम लोगों के साथ भी था कोई उनके खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं था ,सब उनके शोषण के शिकार हो रहे थे। कोई शारीरिक और कोई मानसिक रूप से, लड़के और लड़कियां सभी परेशान होते थे । थकहार कर मैंने इस सब का अंत करने की ठानी। उनके रूम पर गया मैं उस रात मगर एक हिडन कैमरा के साथ, उस रोज़ जो मेरे साथ हुआ वो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता, मगर वो दिन जीवन सर की मनमानी का आखिरी दिन था और मैं आखिरी शिकार । "तुम बहुत निडर हो मानिक, ये सब इतना आसान नहीं था , हम कानून-व्यवस्था के हिसाब से उससे निपटेंगे " उसे उसके किए की सख्त से सख्त सजा मिलेगी " । डीन एडमिनिस्ट्रेशन सब मेरी तारीफ कर रहे थे , और मैं बस यही सोच रहा था आखिरकार ये सब कब खत्म होगा ?? कब तक शोषण यूँ ही चलता रहेगा, फिर उसका रूप, प्रकार कोई भी कैसा भी क्यों ना हो ....................!!!!!! #Vo_mere_pass_aaye #Kahaniya #storytelling #aakhiri_shikar #nojotoquotesforall #nojotowritersclub #nojotohindi #anshulathakur #raise_your_voice