"प्यार.......इतिहास या इंतेज़ार" प्यार तो कल भी था,आज भी है और हमेशा आबाद् रहेगा।। इतिहास गवा है इस प्यार को मिटाने के लिए हजारों कोशिश,लाखों साजिश और करोड़ों जंग लढ़े गए। उस जंग में हार हुई तो सिर्फ प्यार करने वालो का,मगर आज भी उनके बीच दबा हुआ प्यार आबाद रह कर वो दासता को बया कर रही है। क्योंकि अगर ऐसा ना होता तो लोग सलीम - अनारकली, देवदास - पारो को भूल जाते।। जब भी इस प्यार को तोड़ ने की बेशुमार जाल बिछाया गया है,हमेशा प्यार करने वाले अलग हुए,पर उपसोस जिन्होंने उन्हें अलग करने की कोशिश की थी बो आज मीट गए है मगर वो प्यार आज भी जिंदा है अपनी कहानी को संभालकर। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो आज लोग नाही सीता - राम को पूजते और नाही राधे - स्याम को।। आग तो जल् राख हो जाती है मगर उस राख में भी आग की अंगारे पनप रहे होते है।आज भी इस कातिलों सी भरी इस दुनिया में सचा प्यार जिंदा है। आज भी वो अपने हम सफर के इंतेजार में है।। क्या इतिहास फिर से दोहराया जाएगा या फिर इंतेज़ार जारी रहेगा उस अमर प्यार का दस्तूर के लिए।। जिस प्यार में इंतेज़ार ना हो वो कभी इतिहास नहीं बन सकता । #प्यारबचारहजाएगा