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हुआ क्या हाल था मिलके प्रेम स्वर मुहसे उस सुनके रह

हुआ क्या हाल था मिलके
प्रेम स्वर मुहसे उस सुनके
रही अपलक मेरी आंखे
गिरी हो टूट ज्यो पलके
खड़ा स्तब्ध था जम के
ये तन पाषाण सा बनके
थी ऐसे लाज में सांसे
छुपी भीतर की भीतर ही
जैसे कोई सुंदरी लज्जा
ले तकिया मुंह छुपाती हो
कही न प्राण स्वागत में
निकल के हो खड़े बाहर
ये पुतला फिर हिला जाके
उठाके ओढ़ ली पलके

©दीपेश #रिएक्शन 
#प्रपोज़ 

#Love
हुआ क्या हाल था मिलके
प्रेम स्वर मुहसे उस सुनके
रही अपलक मेरी आंखे
गिरी हो टूट ज्यो पलके
खड़ा स्तब्ध था जम के
ये तन पाषाण सा बनके
थी ऐसे लाज में सांसे
छुपी भीतर की भीतर ही
जैसे कोई सुंदरी लज्जा
ले तकिया मुंह छुपाती हो
कही न प्राण स्वागत में
निकल के हो खड़े बाहर
ये पुतला फिर हिला जाके
उठाके ओढ़ ली पलके

©दीपेश #रिएक्शन 
#प्रपोज़ 

#Love