जिसकी जिंदगी में हो तुम उसे हथेलियों पे भाग्य रेखा की कहां जरूरत है, जिसने मीरा सा श्रृंगार कर लिया वो आइना देखे ना देखे , क्या फर्क पड़ता हैं.. जिसके ख्वाबों में बस गए हो तुम, वो जागे या सोए क्या फर्क पड़ता है... तुम्हारी विरह भी, तुम्हारे मिलन सी मीठी तो फिर तुम किसी के भी रहो, कहां फर्क पड़ता है तू जो आंसू भी दे, तो इबादत से लगते, तू जो प्रेम पीड़ा भी दे,उसमे संगीत सा घुलता, तो फिर तुम अपनाओ, या ठुकराओ क्या फर्क पड़ता हैं ... @ ©Ankur Mishra #क्या#फर्क#पड़ता#हैं.. #bonding