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किस पर करूं भरोसा यहां, ये दिखावे का ज़माना है पता

किस पर करूं भरोसा यहां, ये दिखावे का ज़माना है
पता ही ना चले यहां कौन अपना कौन बेगाना है..

सच्चे रिश्तों को मोल नहीं, झूठों का बोलबाला है
प्यारे से प्यारा रिश्ता भी यहां, पल भर में टूट जाना है...

अपने ही अनजान हैं अपनों से, गैरों से क्या उम्मीद लगाना है,
भूल कर हर मंज़र यहां, हर हाल में जिए जाना है...

ताल्लुक नहीं किसी से कोई, अपनी धुन में चलते जाना है,
ठोकर भी खाकर यहां, खुद ही संभल जाना है...

यहां मासूमियत का नकाब पहन, बस लोगों को लुभाना है,
    खुदा ही बचाए इस जग को अब, आखिर कलयुग का ज़माना है.....

©Chetna Dubey
  #realityoflife #changingworld