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हे मेरे मनमोहना कृष्ण मुरारी! तुम तो हो प्यारे पी


हे मेरे मनमोहना कृष्ण मुरारी! तुम तो हो प्यारे पीतांबर धारी। 
मेरे मन में सदा ही बस के रहना इतनी सुन लो अरज हमारी।

सांँवली सूरत है, मोहिनी मूरत है, तुम तो हो सबके कुंँज बिहारी।
सूरत आंँखों में, मूरत दिल में बना कर, पूजा करूंँ दिन-रात तुम्हारी।

मुरली बजाते हो मधुर तान वाली, तुम ही तो हो मेरे मुरली धारी।
मुरली बना लो, अधरों पे सजा लो, तान सुनाओ सुरीली वाली।

कानों में कुण्डल, गले में पहनते हो माला वैजन्ती के फूलों वाली।
कुण्डल बन के कानों में चमकू, गले में माला बनके रहूं खुशबू वाली।

कमर में करधनी, पांँव में पैजनिया, बाजे है खनकते घुंँघरूओं वाली।
कमर में लिपटी रहूंँ करधनी सी, पावों की पायल बन जाऊंँ तुम्हारी।

ग्वाल- बालों संग खेलते हो, गऊवें चराते हो, तुम तो हो नंद बिहारी।
ग्वाल बन जाऊंँ मैं, गाय बन जाऊंँ मैं, तेरे संग खेलूंँ गलियों में सारी।

माखन चुराते हो, कंदुल खाते हो, तुम तो हो जग के पालन हारी।
माखन, कंदुल का भोग लगाया है, चख कर हर लो पीड़ा हमारी।

गोपियों के संग, राधा के संग रास रचाते हो, तुम तो हो रासबिहारी।
गोपी बन जाऊं मैं, राधा बन जाऊं स्वीकार कर लो थोड़ी भक्ति हमारी।

लीला रचाते हो, गीता का ज्ञान सुनाते हो, तुम तो हो गोवर्धन धारी।
तक़दीर संँवर जाए हमारी, गर विनती सुन लो,जाऊंँ तुम पर बलिहारी। ♥️ Challenge-654 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।

हे मेरे मनमोहना कृष्ण मुरारी! तुम तो हो प्यारे पीतांबर धारी। 
मेरे मन में सदा ही बस के रहना इतनी सुन लो अरज हमारी।

सांँवली सूरत है, मोहिनी मूरत है, तुम तो हो सबके कुंँज बिहारी।
सूरत आंँखों में, मूरत दिल में बना कर, पूजा करूंँ दिन-रात तुम्हारी।

मुरली बजाते हो मधुर तान वाली, तुम ही तो हो मेरे मुरली धारी।
मुरली बना लो, अधरों पे सजा लो, तान सुनाओ सुरीली वाली।

कानों में कुण्डल, गले में पहनते हो माला वैजन्ती के फूलों वाली।
कुण्डल बन के कानों में चमकू, गले में माला बनके रहूं खुशबू वाली।

कमर में करधनी, पांँव में पैजनिया, बाजे है खनकते घुंँघरूओं वाली।
कमर में लिपटी रहूंँ करधनी सी, पावों की पायल बन जाऊंँ तुम्हारी।

ग्वाल- बालों संग खेलते हो, गऊवें चराते हो, तुम तो हो नंद बिहारी।
ग्वाल बन जाऊंँ मैं, गाय बन जाऊंँ मैं, तेरे संग खेलूंँ गलियों में सारी।

माखन चुराते हो, कंदुल खाते हो, तुम तो हो जग के पालन हारी।
माखन, कंदुल का भोग लगाया है, चख कर हर लो पीड़ा हमारी।

गोपियों के संग, राधा के संग रास रचाते हो, तुम तो हो रासबिहारी।
गोपी बन जाऊं मैं, राधा बन जाऊं स्वीकार कर लो थोड़ी भक्ति हमारी।

लीला रचाते हो, गीता का ज्ञान सुनाते हो, तुम तो हो गोवर्धन धारी।
तक़दीर संँवर जाए हमारी, गर विनती सुन लो,जाऊंँ तुम पर बलिहारी। ♥️ Challenge-654 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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