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*हम तो खुशियाँ उधार देने का* *कारोबार क

*हम तो खुशियाँ उधार देने का*
           *कारोबार करते हैं,साहब*!
*कोई वक़्त पे लौटाता नहीं*
           *इसीलिए घाटे में चल रहे हैं..                                                                                                                   *जिंदगी के सफर से बस इतना ही सबक सीखा है*विनीत ..
*सहारा कोई - कोई ही देता है धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है*..
*हम तो खुशियाँ उधार देने का*
           *कारोबार करते हैं,साहब*!
*कोई वक़्त पे लौटाता नहीं*
           *इसीलिए घाटे में चल रहे हैं..                                                                                                                   *जिंदगी के सफर से बस इतना ही सबक सीखा है*विनीत ..
*सहारा कोई - कोई ही देता है धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है*..