* मैं पँछी प्रेम का, छत से उड़ा के लोट आया सोई हुई थी तमन्ना, जगा के लोट आया * जब चल रही थी इश्क़, की हवा उनकी ऒर मैं अपना ख़त, हवा में उड़ा के लोट आया * ये मेरा जुनून ए इश्क था और कुछ भी नही बंदा में जमीं का,आसमां हिला के लोट आया * बनाया शाहजहां ने ताज था मोह्हबत में मैं अपने नाम, का ताला लगा के लोट आया