मैं सोलह श्रृंगार कर पिया को लुभाने चली घूंघट में शर्माते मुखड़ा छुपाती हुए बढ़ी बिंदिया सजाते माथे पर, और सिंदूर की सुंदर लाली हाँथों में कंगना बजाते, पायल छनकाते शोर मचाती मेहंदी से हथेली पर पिया का नाम लिखती शिव की गोरी आज बन्धन को निभाते आगे बढ़ी पिया की लंबी उम्र के ख़ातिर आज मैं सोलह श्रृंगार में हर जन्म में गौरीशंकर से, ख़ुद के लिए मांगने चली! कर सोलह श्रृंगार सजनी, साजन को लुभाने चली। माँ "गौरा" से मांग वर, अपने वर की उम्र बढ़ाने चली।। सौजन्य से:- काव्य पथिक™ 👉आइए आज लिखते हैं कुछ मन लुभावनी बातें .... यह कोई प्रतियोगिता नही और न ही "काव्य पथिक" किसी भी कवि/ कवियित्रियों को हार जीत के तराज़ू में तौलने को इक्षुक है, यहाँ लिखने और सीखने में रुचि रखने वालों के लिए प्रत्येक दिन सिर्फ एक विषय दिया जाता है, जिसे वो अपने लेखनी के माध्यम से सजाते व सँवारते हैं। "काव्य पथिक ™" आप सभी कलमकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।