" दिलकी शुनु या दिमाग़ की धर्म संकट में पड़ा हुआ हुं पैर मेरे किस तरफ बढाउं दो छकी पे खड़ा हुआ हुं जिनके खातिर जी रहा था उनसे नाता तोड़ दिया जिंदगी से अब क्या काम है उसने भी मुझे छोड़ दिया जाता हूँ अब किस दिशा में मुझको कोई ज्ञान नहीं किसने मुझको क्या दिया है मुझको कोई याद नहीं " #paininlove #terebina #kaisajina