सोचती हूं अहद ए वफ़ा बस इक तेरे नाम कर दू दिल में उठती हर चुभन का काम तमाम कर दू मंज़िल मुझे बना तू अपनी आशिक़ी का तू कहे तो हमनवा मोहब्बत का ऐलान कर दू मयखानों की तलब तू कभी ना लगाना तू कहे तो तेरे नाम नशीली आंखों का जाम कर दू गुस्ताखी कर के देख इक दफा मोहब्बत की हर रस्मों रिवाज़ को दफनाने का इंतजाम कर दू #अहद ए वफा#नाम कर दू