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जिल्लतें और मायुसियां युं संभाले रक्खें हैं या

जिल्लतें और मायुसियां युं संभाले रक्खें हैं
या      फिर  हकीकतों को उलझायें बैठें हैं 

सूरत   से  होकर    फिर    दिल में गुजरेगा
सोचकर इश्क  में वे आईना संवारे   बैठें हैं

बर्दाश्त  नहीं  रावण और राम बनकर आयें हैं
बुरी सूरत वाले भी अब आईना झुठलायें बैठें है

फिर      अंधेरा    हो आया बंद दरवाजे देख 
कोने में रहकर उम्मीद रोशनी की लगायें बैठे हैं

वे  गर्दिश  में    हैं    या      फिर     गर्त    में
बन्द आंखों मे ख्वाब फिर भी संजोये रक्खें हैं

©Rohit Gaur #SAD #quaotes #gajal #my #Hindi #Famous