सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है । करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है । रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है । यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है । ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है । वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है । खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद, आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है । सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है । ©Akshit Herkar #sarfaroshikitamanna #azzadi