चल दिया माह-ए-रमज़ान, फिर यह आँखें नम हो गए, फिर नेकियाँ समेट लिए, हिस्से के गुनाह कम हो गए, ईद के चाँद पर नज़र पड़ा, मिला गाफ़िल दिल को सुकून, ऐ माह-ए-रमज़ान अलविदा, हम बदनसीबों पर रहम हो गए। #औरदोनोंहँसदिए #समयकीरेत #ईदमुबारक #ईद #yqdidi #yqtales #yqquotes #love