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वस्त्र पुराने छोड़ मनुज ज्यों,नूतन वस्त्र पहनता है

वस्त्र पुराने छोड़ मनुज ज्यों,नूतन वस्त्र पहनता है।
देह त्याग कर ये आत्मा भी,नया तन ही ढूँढती है।।
मन यह चंचल बहुत अधिक है,धैर्य धरो पकड़ो इसको।
सरल नहीं है इसको धरना,अभ्यास करो जकड़ो इसको।।

©Bharat Bhushan pathak
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