सूना है शियासत दीवारे बना रही है ; देश की गरीबी को वो चंद ईंटों से छूपा रही है ।। कीतना अच्छा होता की उस ईंट का हर एक टूकडा किसी के घर की छत बन जाता ; कम से कम देश मे मेरे थोडा सा ही सही लेकीन सूधार आ जाता ; और वो इन्सान उस झूपडपट्टी से नीकलकर एक पक्के मकान मे आ जाता ।। आपका नही पता पर मेरे लिये तो यही विकास केहलाता ।। ‐-----------‐------------- ।। बात गरीबी मीटाने की हुई थी साहब छूपाने की नही ।। बात गरीबी मीटाने की हुई थी साहब ; छूपाने की नही ।। 🔥🔥🔥