विश्वास की डोर जिस दिन, मजबूत हो जाएगी। यकीन मानो उस दिन, ज़िन्दगी निखर जाएगी। थामे रहना पतवार तुम, ये कश्ती है मझधार में। साहिल के इंतज़ार में, ये रात भी गुज़र जाएगी। यकीं मानो मुश्किल नहीं, सफ़र बहुत आसान है। साथ जो तुमने दे दिया, तो मंज़िल नज़र आएगी। कहकशाँ सी दिखाई देती, है जो ये चिलमन। एक डोर जो खिंच गई, तो जल्द बिखर जाएगी। तुमसे मेरी चाहत का, अफ़साना बहुत पुराना है। बनकर हमसफ़र साथ चलें, ज़िंदगी सँवर जाएगी। ♥️ Challenge-627 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।