कभी मै भी अकेले में गुनगुनता काश मै भी सायर बन जाता प्यार, मोहब्बत, इश्क़ को दो लाईन में समझता काश मै भी सायर बन जाता नफ़रत, घृणा,द्वेष को प्रेम से समझता नफ़रत और प्यार का संबंध अमर हो जाता जाता काश मैं भी सायर बनजाता ©aarivpandey कभी मै भी अकेले में गुनगुनता काश मै भी सायर बन जाता प्यार, मोहब्बत, इश्क़ को दो लाईन में समझता काश मै भी सायर बन जाता नफ़रत, घृणा,द्वेष