शायर-ए-हस्ती है मेरी मैं सूकूँ-ए-करार दिल मे भर पाता हूँ। अंदाज जुदा सबसे रखकर अहजान मे तर पाता हूँ। किस्मत गवाह है मेरी मुझे जीने का हुनर आता है दर्द मे जीकर भी सादगी कर पाता हूँ। जमाने का खौफ बहुत इल्जाम काफी है मुझमें बिना डरके भी खुद मे डर पाता हूँ। मुकेश नेगी Rupam kumari Lakshmi singh