अब भी नहीं तो कब समझोगे यू नफ़रत मे कैसे जीयोगे साँस भी लेना मुश्किल होगा ज़हर हवा मे जब घोलोगे जात धर्म सब के है अपने क्यु दूजो के तुम छेड़ोगे मेल ख़यालों के ना हो तो देश मे रहकर सिर्फ़ लड़ोगे पीछे की तारीख ना देखो आगे आगे कैसे बड़ोगे प्यार मुहब्बत अच्छे करम हो फिर बिल्कुल न तुम बिखरोगे सूफ़ी संतों का समझाया पाठ पढ़ो तो जब समझोगे अपने आने वाली पीढ़ी उनके ख़ातिर क्या छोड़ोगे नफ़रत की चक्की को छोड़ो मारे मारे सिर्फ पिसोगे अब भी नहीं तो कब समझोगे यू नफ़रत मे कैसे जीयोगे साँस भी लेना मुश्किल होगा ज़हर हवा मे जब घोलोगे जात धर्म सब के है अपने क्यु दूजो के तुम छेड़ोगे मेल ख़यालों के ना हो तो देश मे रहकर सिर्फ़ लड़ोगे