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गर्द जिम्मेदारी का, आँखों में लेके | ये फ़िक्र से

गर्द जिम्मेदारी का, आँखों में लेके  |
ये फ़िक्र से रातों को सो नही पाते   |
आँखों से ये कैद हटे, दर्द बहे, राहत मिले  | 
पिता इतने मजबूर होते है, रो भी नही पाते | 


नेहा वशिष्ठ this is for my father
गर्द जिम्मेदारी का, आँखों में लेके  |
ये फ़िक्र से रातों को सो नही पाते   |
आँखों से ये कैद हटे, दर्द बहे, राहत मिले  | 
पिता इतने मजबूर होते है, रो भी नही पाते | 


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