पाप वाले पापी पाँव, कौवों की कुत्सित काँव, छिपती ये छद्म छाँव, शल्य होली में सहे। ग्रहण लगे जो गुर्ग, सिर से शतुरमुर्ग, दिल के वो द्वेष दुर्ग, पुण्य होली में ढहे। धूर्तता के रणधीर, प्राण की चुभन पीर, नयन बने जो नीर, नित्य होली में बहे। संहारी संवेदनाए, काल होती कामनाएं, द्वार की दुर्भावनाएं, दिव्य होली में दहे।। चारण गोविन्द सभी परिचित व मन से सम्बंधित हृदयों को सप्रणाम/सस्नेह सपरिवार होली के तम नाशक पावन पर्व की बधाइयाँ व शुभकामनाएँ, आप सभी अपनी चाहतों को प्राप्त कर प्रसन्नता के दुर्ग चढ़े, शुभकामनाएँ। 🙏❤️🙏 #चारण_गोविन्द की ओर से #दुनियाँ भर को #होली के पावन #पर्व की #बधाइयाँ व #शुभकामनाएँ #govindkesher #CharanGovindG #happyholi #Holi