ये इश्क का रोग बहुत हसीन है, दूसरे मर्ज़ तो हमें लग जाते हैं, पर इसको हम खुद ही लगाते हैं, इसकी न दवा है, न वैक्सीन है. टी.बी., केंसर का टेस्ट हो जाता है शूगर और हार्ट चेक हो जाता है, पर इस रोग का कोई चेकअप नहीं, ये बड़ा कमीना है, बड़ा कमीना है, हरेक मर्ज़ की एक मुद्दत होती है कोई न कोई दवा भी होती है,पर इश्क का रोगी खूब जानता है, बचेगा नहीं वो, मर्ज़ बड़ा संगीन है. इसका होता है नहीं कोई डाक्टर, नही कोई क्लिनिक न कोई सेंटर, लव-गुरु भी बेकार साबित हुए हैं, कहते हैं डरो मत रोग ये रंगीन है. इसका रोगी दुनिया से कट जाता है, कलेजा उसका पूरा फट जाता है, बस एक ही शख्स याद रहता है उसे, वही उसका आकाश वही ज़मीन है. पर इश्क का रोग बहुत हसीन है....... ये इश्क का रोग बहुत हसीन है, दूसरे मर्ज़ तो हमें लग जाते हैं, पर इसको हम खुद ही लगाते हैं, इसकी न दवा है, न वैक्सीन है. टी.बी., केंसर का टेस्ट हो जाता है शूगर और हार्ट चेक हो जाता है, पर इस रोग का कोई चेकअप नहीं,